Kaal bhairav ki Aarti: भय मुक्ति के लिए रोज करें, काल भैरव जी की आरती
अगर आप या कोई परिजन गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो काल भैरव के दरबार अवश्य जाएं। काल भैरव जी की आरती (Kaal bhairav ki Aarti) करने से रोग, ऊपरी बाधा से मुक्ति और हर मनोकामना पूरी होती है।
Kaal bhairav ki Aarti: हर माह कृष्ण पक्ष में आने वाली अष्टमी को काल भैरव जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भैरो बाबा से शक्ति पाने के लिए बहुत उत्तम माना जाता है।
भगवान काल भैरव को उज्जैन का दरोगा कहा जाता है। भैरव बाबा की पूजा करने से पहले शिव-पार्वती जी की पूजा-आरती करनी चाहिए। भैरव चालीसा के साथ ही शिव चालीसा पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव की असीम कृपा मिलती है।
यदि आप या आपका कोई परिजन लम्बे समय से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको काल भैरव के दर पर पहुंचना चाहिए। काल भैरव रोगों से मुक्ति और ऊपरी बाधा से मुक्ति दिलाने वाले देवता हैं। उनकी आरती करने से उनके भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
तो आइए, काल भैरव जी की आरती (Kaal Bhairav Ji ki Aarti) करें और भय मुक्त होने का आशीर्वाद प्राप्त करें।
काल भैरव जी की आरती (Kaal Bhairav ji ki Aarti)
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
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