Pitra Dosh Ke Upay: पितृदोष कैसे दूर होता है? यहां जानिए, पितृदोष के उपाय

यदि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध या पितृदोष निवारण पूजा (Pitra Dosh Puja) पूरे रीति-रिवाज से संपन्न किया जाए तो पितृ खुश होते हैं।

Pitra Dosh Puja: हमारे धर्म में पितरों को देवतुल्य माना गया है। पितर मनुष्य के जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। पितरों से हमारा संबंध ‘जन्म-जन्मांतर’ का होता है। पितरों से प्रत्येक मनुष्य का जीवन प्रभावित होता है।

कहा जाता है कि अगर पितरों के आत्मा को शांति नहीं मिलती है तो वो हमें भी खुश नहीं रहने देते हैं। ऐसी स्थिति में कभी-कभी हमारे कुंडली में पितृ दोष (Pitra Dosh) भी आ जाते हैं।

ऐसे में पितरों/पूर्वजों को खुश करना बेहद आवश्यक होता है। अन्यथा घर की सुख शांति प्रभावित होती है और बनते हुए काम भी बिगड़ने लगते हैं। 

इसके लिए शास्त्रों में पितृ दोष के उपाय (Pitra Dosh Ke Upay) भी बताए गए हैं। जिसमें पितृ दोष पूजा (Pitra Dosh Puja) सबसे महत्वपूर्ण है। पितृ दोष पूजा (Pitra Dosh Puja) अमावस्या या फिर पितृ पक्ष में कभी भी कराई जा सकती है। 

तो चलिए यहां जानते हैं, पितृ दोष क्या होता है? पितृ दोष पूजा का लाभ और महत्व क्या है?

पितृ दोष क्या है? (What is Pitra Dosh)

पितृ दोष (Pitra Dosh) दो शब्दों से मिलकर बना है- पितृ + दोष। 

आसान शब्दों में कहें तो यदि हमारे पूर्वजों की आत्मा शांत नहीं होते हैं तो हमारे जीवन में भी बाधा आती है। ऐसा जब होता है जब हमारे पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है।

शास्त्रों के अनुसार पितृ दोष (Pitra Dosh) से पीड़ित व्यक्ति के पूर्वज खुद अपने कर्मों की वजह से श्राप को झेल रहे होते हैं। इस श्राप का ऋण आगे आने वाली पीढ़ियों के पास चला जाता है।

बाद में यही पितृ दोष (Pitra Dosh) के रूप में मनुष्य की कुंडली में आ जाता है और फिर लोगों को परेशान करता है। 

पितृ दोष के लक्षण (Symptoms of Pitra Dosh)

  • पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति लगातार बीमार रहने लगता है। साथ ही व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
  • व्यक्ति को मानसिक शांति नहीं मिल पाती है। मन अशांत और अस्थिर रहता है। 
  • कुंडली में पितृदोष होने से जातक की शादी में देरी जैसी समस्याएं आने लगती है। 
  • कई बार कुंडली में पितृ दोष से गर्भधारण की समस्या या गर्भपात हो सकता है।
  • पितृ दोष से पीड़ित लोगों को सफल वैवाहिक जीवन में बाधा आती है।
  • किसी शुभ कार्यक्रम के आयोजन में लंबे समय तक रुकावटें आती हैं।
  • कभी-कभी परिवार के भीतर आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना जैसी अप्राकृतिक मौत हो सकती है।

पितृदोष के उपाय (Pitra Dosh Ke Upay)

पितृपक्ष (Pitru Paksha) पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। यदि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध या पितृदोष निवारण पूजा (Pitra Dosh Puja) पूरे रीति-रिवाज से संपन्न किया जाए तो पितर खुश होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। 

अतः पितृ पक्ष के दौरान हमें विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध और तर्पण अवश्य करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष कब होता है?

हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत होती है। वहीं, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन पितृपक्ष समाप्त हो जाता है। इस वर्ष पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से 14 अक्टूबर के बीच पड़ रहा है।

इसी विशेष अवधि को श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है। इसे कुछ लोग पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के नाम से भी जानते हैं।

मान्यता है कि अपने पितरों को श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध या फिर सम्मान दिया जाए। तो उसका विशेष महत्व होता है। इसके अलावा आप हर महीने की अमावस्या तिथि को पितृदोष निवारण पूजा (Pitra Dosh Puja) करा सकते हैं। 

यदि आपके कुंडली में पितृदोष है तो इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि पितृ पक्ष में आप अपने पितरों का श्राद्ध अवश्य करें। 

ये तो थी, पितृदोष निवारण पूजा (Pitra Dosh Puja) की जानकारी। ऐसे ही सनातन धर्म की अन्य पूजा और अनुष्ठानों की जानकारी के लिए My Mandir से जुड़े रहें। 

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