Vishnu Chalisa: प्रत्येक गुरुवार करें विष्णु चालीसा का पाठ, कष्टों का होगा अंत 

हर गुरुवार को श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों को सांसारिक वैभव मिलता है। साथ ही इस पवित्र चालीसा को पढ़ने से अध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

Vishnu Chalisa: अगर आपके जीवन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, कोई भी कार्य सफल नहीं हो रहा है, घर परिवार में शान्ति नहीं है तो आपको श्री विष्णु चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। विष्णु जी जगत के पालनहार हैं। वो अपने भक्तों को कष्ट में नहीं देख सकते। 

शास्त्रों के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए श्रेष्ठ होता है। इस दिन भगवान विष्णु की चालीसा पढ़ने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

तो आइए, सबसे पहले विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) पढ़ने के फायदे के बारे में जान लेते हैं। 

श्री विष्णु चालीसा पढ़ने के फायदे (Shri Vishnu Chalisa padhne ke Fayde) 

हर गुरुवार को श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने वाले भक्तों को सांसारिक वैभव मिलता है। साथ ही इस पवित्र चालीसा को पढ़ने से अध्यात्मिक उन्नति भी होती है। श्री विष्णु चालीसा पढ़ने के ये फायदे आपका जीवन बदल देते है –

  • श्री विष्णु जी की चालीसा पढ़ने से भक्त को सुख, सौभाग्य, समृद्धि, और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। 
  • विष्णु चालीसा का पाठ करने से सभी कष्टों और समस्याओं का निवारण होता है। 
  • इससे व्यक्ति के भीतर मानसिक शान्ति का उदय होता है। 
  • हर गुरुवार श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
  • इसके पाठ से व्यक्ति सहनशील और दयालु बनता जाता है। 
  • विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यापार बढ़ता है और ऋण से मुक्ति मिलती है। 
  • विष्णु चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।

श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa) 

।।दोहा।।

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥

।।चौपाई।।

नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी।  

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥1॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत।

तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥2॥

शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥3॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥4॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण।

करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥5॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा।

भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥6॥

आप वाराह रूप बनाया,हरण्याक्ष को मार गिराया।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥7॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया।

देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥8॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥9॥

वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढूँढवाया।

मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया॥10॥

असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लडाई।

हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥11॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी 

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥12॥

देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,हना असुर उर शिव शैतानी ॥13॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे।

गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥14॥

हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥15॥

चहत आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥16॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण। 

आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥17॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई हर्षित रहत परम गति पाई ॥18॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई।

पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ॥19॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,निज चरनन का दास बनाओ।

निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥20॥

॥इति विष्णु चालीसा सम्पूर्णं॥

हमारे इस ब्लॉग में आपने विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa) के फायदे के बारे में पढ़ा। आप प्रत्येक गुरुवार को नहा-धोकर श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें। विष्णु की नियमित स्तुति से आपका जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा।

श्री विष्णु जी की इस पवित्र चालीसा को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करके धर्मलाभ उठाएं। 

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