Aaj ki tithi 18 October 2025: आज की तिथि | कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी

आज की तिथि (Aaj Ki Tithi) कार्तिक कृष्ण द्वादशी है, जोकि शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 की हिंदू पंचांग तिथि है। साथ ही साथ Aaj Kya Hai भी जानिए।

Aaj ki tithi: आज दिनांक 18 अक्टूबर 2025, दिन शनिवार है। हिंदू पंचांग के अनुसार आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि (Aaj Dwadashi tithi) है, जो दोपहर 12:20 बजे तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी। आज का नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी है, जो 3:43 बजे दोपहर तक रहेगा। आज का योग ब्रह्मा योग है जो रात 1:48 बजे तक रहेगा, इसके बाद इंद्र योग आरंभ होगा। करण की बात करें तो तैतिल करण दोपहर 12:21 बजे तक रहेगा।

आज सूर्यदेव तुला राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में विराजमान हैं। आज सूर्योदय सुबह 5:59 बजे और सूर्यास्त शाम 5:29 बजे होगा। चंद्रोदय रात 3:03 बजे और चंद्रास्त दोपहर 3:42 बजे होगा। आज का दिशा शूल पूर्व दिशा में रहेगा, इसलिए इस दिशा में यात्रा से बचना शुभ माना गया है।

शुभ कार्यों के लिए 11:21 AM से 12:07 PM तक का समय उत्तम रहेगा। वहीं, राहुकाल 8:51 AM से 10:17 AM, गुलिक काल 5:59 AM से 7:25 AM, और यमघण्टकाल 1:10 PM से 2:36 PM तक रहेगा।

आज का दिन धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ है क्योंकि आज धनतेरस, यम दीपम, यम पंचक का प्रारंभ, प्रदोष व्रत और शनि त्रयोदशी जैसे पावन पर्व एक साथ मनाए जा रहे हैं। आज के दिन दीपदान और यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। लोग आज के शुभ मुहूर्त में सोना-चांदी, बर्तन या अन्य वस्तुएँ खरीदते हैं, जिससे धन-लक्ष्मी की कृपा बनी रहे। यह दिन दीपावली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है और घर-परिवार में समृद्धि, स्वास्थ्य और शुभता लाने वाला दिन है।

आइए, अब हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) को विस्तार से समझ लेते हैं। 

Aaj ka Panchang | आज का पंचांग

हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है। इसमें पाँच मुख्य अंग होते हैं—तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। इन्हीं के आधार पर आज की तिथि (Today Tithi), शुभ मुहूर्त और राहुकाल की गणना की जाती है।

पंचांग के 5 अंग

1. तिथि

हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित है। जिसमें दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष होता है। यह 15-15 दिनों का होता है। विक्रम संवत गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। हिंदू कैलेंडर में 15 तिथियां होती हैं। 

ये 15 तिथियां क्रमशः प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा है।

2. नक्षत्र

आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 

ये 27 नक्षत्र क्रमशः अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र हैं।

3. वार: 

हिंदू कैलैंडर में वार का आशय दिन से है। हिंदी कैलेंडर के सप्ताह में 7 दिन हैं। 

ये 7 वार क्रमशः रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार है। 

4. योग: 

नक्षत्र की तरह योग की संख्या भी 27 है। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। 

ये 27 योग क्रमशः विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति है।

5. करण: 

हिंदू पंचांग के अनुसार एक तिथि में दो करण होती है। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। हिंदू पंचांग में कुल 11 करण होते हैं। 

ये 11 करण क्रमशः बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न हैं। 

Note- सभी मुहूर्त और पंचांग का जानकारी वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई है।

ऐसे ही ज्योतिष, पंचांग, राशिफल, त्योहार, और सनातन धर्म की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए My Mandir का ब्लॉग अवश्य पढ़ें।

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