Pitru Paksha 2025: घर बैठे ऐसे करें श्राद्ध, पितर देंगे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

पितृ पक्ष पूर्वजों को समर्पित पवित्र समय है। घर पर सरल विधि से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख, शांति व समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

Pitru Paksha Shradh Vidhi 2025: पितृ पक्ष हिंदू धर्म का बहुत पवित्र समय माना जाता है। इस दौरान हर कोई अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और संतोष के लिए श्राद्ध करता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि श्राद्ध केवल मंदिर या ब्राह्मण के माध्यम से ही हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। सही नियम और श्रद्धा के साथ आप अपने घर पर भी श्राद्ध कर सकते हैं।

श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं। वे वंशजों को आशीर्वाद देकर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि यह अनुष्ठान केवल परंपरा ही नहीं, बल्कि पितरों के प्रति आभार और सम्मान का प्रतीक है।

शास्त्रों में श्राद्ध का महत्व

1. पितृ ऋण की पूर्ति

हिंदू धर्म में कहा गया है कि हर मनुष्य जन्म के साथ तीन ऋण लेकर आता है – देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। देव ऋण देवताओं की पूजा और यज्ञ से पूरा होता है। ऋषि ऋण ज्ञान और शिक्षा के प्रसार से चुकाया जाता है। लेकिन पितृ ऋण का निवारण केवल श्राद्ध और तर्पण से संभव है। जब कोई व्यक्ति पितरों का श्राद्ध करता है तो वह अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता जताता है और अपने धर्म का पालन करता है।

2. पितरों की आत्मा की शांति

ग्रंथों में कहा गया है कि जब श्राद्ध पूरे नियम और श्रद्धा से किया जाता है तो पितरों की आत्मा तृप्त होती है। वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। उनकी कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति और सौहार्द बना रहता है।

3. आशीर्वाद और समृद्धि

ब्रह्मवैवर्त पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि श्राद्ध करने से पितर वंशजों को आयु, धन, उत्तम संतान और उन्नति का आशीर्वाद देते हैं। यदि श्राद्ध न किया जाए तो पूर्वज अप्रसन्न हो सकते हैं, जिससे परिवार में बाधाएँ और मानसिक अशांति आ सकती है।

4. आत्मिक और आध्यात्मिक लाभ

श्राद्ध केवल पितरों के लिए ही नहीं, बल्कि इसे करने वाले के लिए भी महत्वपूर्ण है। श्राद्ध से आत्मा शुद्ध होती है और मनुष्य को विनम्रता, आभार और धर्म पालन की शिक्षा मिलती है। यह साधना आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग खोलती है।

5. व्यापक महत्व

श्राद्ध का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, यह परिवार और समाज को जोड़ने वाला संस्कार है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से परिवार में संतोष और एकता बनी रहती है।

घर पर श्राद्ध करने की तैयारी

1. स्थान की पवित्रता

श्राद्ध करने से पहले घर में एक स्वच्छ जगह चुनें। यह आँगन या पूजा स्थल हो सकता है। उस स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगाजल छिड़कें ताकि वातावरण पवित्र हो जाए।

2. पूजा स्थल की सजावट

लकड़ी की चौकी या आसन पर सफेद या पीला कपड़ा बिछाएँ। चौकी को तिलक करके पूजा की सामग्री क्रम से रखें। दीपक जलाकर वातावरण को शांत और पवित्र बनाएँ।

3. सामग्री की व्यवस्था

श्राद्ध में तिल, कुश, जल, दूध, दही, शहद, घी, फूल, अक्षत, फल, मिठाई और दीपक की आवश्यकता होती है। पितरों के तर्पण के लिए जल से भरा पात्र भी रखें। ब्राह्मण भोजन हेतु सात्विक व्यंजन बनाना जरूरी है।

4. भोजन बनाना

श्राद्ध के दिन सात्विक और शुद्ध भोजन ही बनाया जाता है। प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता। भोजन ताजे घी में पकाएँ और रसोईघर को स्वच्छ रखें।

5. गौ और ब्राह्मण सेवा

श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना सबसे शुभ माना जाता है। साथ ही परंपरा है कि सुबह की पहली रोटी गाय को खिलाई जाती है।

6. परिवार की तैयारी

श्राद्ध में भाग लेने वाले सभी लोग स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पुरुष आमतौर पर धोती या पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और महिलाएँ सादे वस्त्र धारण करती हैं। सबसे महत्वपूर्ण है मन की पवित्रता और श्रद्धा।

घर पर श्राद्ध करने की विधि

1. संकल्प

सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हों। फिर हाथ में जल, तिल और कुश लेकर पितरों का स्मरण करें और संकल्प लें कि यह विधि उनकी तृप्ति के लिए की जा रही है।

2. पूजा स्थल की तैयारी

चौकी पर सफेद या पीला वस्त्र बिछाएँ। दीपक जलाएँ और तांबे या चाँदी का पात्र रखें। पितरों का स्मरण करते हुए उन्हें आमंत्रित करें।

3. पितरों का आह्वान

कुश के आसन पर बैठकर पितरों को हृदय से बुलाएँ। माना जाता है कि वे सूक्ष्म रूप में उपस्थित होकर आशीर्वाद देते हैं।

4. तर्पण

जल, तिल और कुश मिलाकर दाएँ हाथ से अर्पण करें। प्रत्येक अर्पण के समय पितरों का नाम और गोत्र उच्चारित करें।

5. पिंडदान

चावल, तिल और घी से बने पिंड पितरों को अर्पित करें। यह श्राद्ध का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे पितरों की आत्मा को संतोष मिलता है।

6. हवन और मंत्रोच्चार

कुछ घरों में श्राद्ध के समय हवन भी किया जाता है। इसमें तिल और घी से आहुति देकर वैदिक मंत्र पढ़े जाते हैं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और पितर तृप्त होते हैं।

7. ब्राह्मण भोजन और दान

श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना और वस्त्र, अन्न तथा दक्षिणा देना आवश्यक है। यह माना जाता है कि ब्राह्मणों के माध्यम से पितरों को संतोष प्राप्त होता है।

8. गौ और जीव सेवा

श्राद्ध के बाद पहली रोटी गाय को दी जाती है। कुछ अंश कुत्तों, पक्षियों और चींटियों को भी दिया जाता है। यह कार्य पितरों की प्रसन्नता और पुण्य वृद्धि का साधन माना जाता है।

9. आशीर्वाद प्रार्थना

पूरी विधि के अंत में पितरों से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

श्राद्ध करते समय नियम

  1. श्राद्ध से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. श्राद्ध का समय दोपहर सबसे शुभ माना गया है।
  3. पूरे मन से श्रद्धा और शांति बनाए रखें।
  4. श्राद्ध में सात्विक और ताजा भोजन ही पकाएँ।
  5. मांस, प्याज, लहसुन और नशे का प्रयोग न करें।
  6. श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन और दान दें।
  7. पहली रोटी गाय, दूसरी कुत्ते और तीसरी पक्षियों को दें।
  8. तर्पण मंत्र, पितृ स्तोत्र और धार्मिक श्लोकों का पाठ करें।
  9. इस दिन झगड़े, अपशब्द और नकारात्मक व्यवहार से बचें।

पितृ पक्ष का समय पूर्वजों को याद करने और उनके आशीर्वाद पाने का विशेष अवसर है। घर पर श्रद्धा और नियम से किया गया श्राद्ध पितरों की आत्मा को तृप्त करता है। उनकी कृपा से परिवार में शांति, सुख और समृद्धि बनी रहती है।

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