जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी – आरती (Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri)
जय अम्बे गौरी आरती मां दुर्गा की एक लोकप्रिय और शक्तिशाली आरती है। इसका नियमित पाठ करने से मन को शांति, घर में सुख-समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा मिलती है।

Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri: जय अम्बे गौरी आरती मां दुर्गा की एक लोकप्रिय और शक्तिशाली आरती है। इसका नियमित पाठ करने से मन को शांति, घर में सुख-समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा मिलती है।
“जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” मां दुर्गा की एक प्रसिद्ध आरती है, जिसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाता है। यह आरती नवरात्रि, दुर्गा पूजा और शक्ति साधना के अवसर पर विशेष रूप से गाई जाती है। इसके भावपूर्ण शब्द और भक्तिमय स्वर मन को शांति देते हैं और भक्तों को मां की कृपा का अनुभव कराते हैं।
जय अम्बे गौरी आरती पाठ करने के लाभ (Ambe Mata Ji Ki Aarti Lyrics benefits):
यह आरती पढ़ने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- घर का वातावरण पवित्र और शांत बना रहता है।
- नकारात्मक ऊर्जा, बाधाओं और बुरी नजर से सुरक्षा मिलती है।
- मन को शांति, विश्वास और आध्यात्मिक बल मिलता है।
- संकटों और कठिन परिस्थितियों में सहारा और समाधान मिलता है।
- आरती के नियमित पाठ से परिवार में प्रेम और समृद्धि बढ़ती है।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी – आरती (Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri)
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता ।
सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।