निर्जला एकादशी 2025 (nirjala ekadashi Vrat): 6 जून को है विशेष व्रत, बन रहे हैं शुभ योग

Nirjala Ekadashi kab hai? जानें निर्जला एकादशी 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और इसके पीछे की पौराणिक कथा। यह व्रत क्यों है सबसे पुण्यदायी?

नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत (nirjala ekadashi Vrat) 6 जून 2025, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। यह व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है और इसे सबसे कठिन एवं पुण्यदायी व्रत माना गया है। इस दिन व्रती पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करते और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं।

इस बार बन रहे हैं तीन शुभ योग

इस साल निर्जला एकादशी पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस व्रत का महत्व और बढ़ गया है—

शुक्रवार का दिन: यह दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।

रवि योग: यह योग किसी भी शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

इन तीनों योगों के मेल से यह एकादशी अत्यंत फलदायी मानी जा रही है।

इन राशियों को होगा विशेष लाभ?

ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस दिन का विशेष लाभ कुछ राशियों को मिलेगा।

  • मेष राशि: धन लाभ और पारिवारिक सुख बढ़ेगा।
  • मिथुन राशि: निवेश से लाभ और मानसिक संतुलन मिलेगा।
  • सिंह राशि: नौकरी और व्यापार में उन्नति के योग बन रहे हैं।

इसके अतिरिक्त, बुध के मिथुन राशि में प्रवेश के कारण वृषभ, कन्या, वृश्चिक और मकर राशि के जातकों को भी अच्छे फल मिल सकते हैं।

व्रत और पूजा की विधि

निर्जला एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, तुलसी दल अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूरे दिन उपवास रखें और जल भी न ग्रहण करें। रात्रि में भजन-कीर्तन करें और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।

व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

महाभारत काल में भीमसेन को उपवास करना कठिन लगता था। उन्होंने महर्षि व्यास से समाधान पूछा, तब उन्हें निर्जला एकादशी व्रत रखने की सलाह दी गई। इस व्रत को करने से साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है। इसी कारण इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी केवल एक उपवास नहीं, बल्कि संयम, श्रद्धा और विश्वास का पर्व है। इस दिन व्रत करने से न केवल आत्मिक शुद्धि होती है, बल्कि देवी-देवताओं की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता भी मिलती है।

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