Temples in Uttarakhand: उत्तराखंड के प्रसिद्ध 10 मंदिर, जहां ज़रूर जाएं

उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध 10 मंदिरों की सूची पढ़ें और जानिए उनके इतिहास, महत्व और दर्शन की जानकारी – केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और भी बहुत कुछ।

Temples in Uttarakhand: उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ कहा जाता है, भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ हर पहाड़ी पर आस्था की एक कहानी बसी है। यहाँ के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि अपनी प्राचीनता, वास्तुकला और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

तो आइए जानते हैं उत्तराखंड के 10 प्रमुख मंदिरों के बारे में:

1. केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir)

स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला | समुद्र तल से ऊँचाई: 3,583 मीटर

मुख्य देवता: भगवान शिव

केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर हिमालय की ऊँचाइयों में स्थित है और इसकी पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ इसका सौंदर्य और भी अलौकिक बना देती हैं।

इस मंदिर को आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित कराया था। यहाँ तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से 16 किमी की कठिन ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो भक्ति और साहस का प्रतीक है।

2. बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Mandir)

स्थान: चमोली ज़िला | समुद्र तल से ऊँचाई: 3,133 मीटर

मुख्य देवता: भगवान विष्णु (बद्री नारायण)

बद्रीनाथ मंदिर चार धामों में एक है और उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहाँ विष्णु भगवान की तपस्वी रूप में पूजा होती है।

माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहाँ तपस्या की थी और देवी लक्ष्मी ने उन्हें बर्फ से बचाने के लिए ‘बड़’ (बद्री) का रूप लिया। बद्रीनाथ के आसपास विष्णुपद, तप्तकुंड, और ब्रह्मकपाल जैसे दर्शनीय स्थल भी हैं।

3. यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Mandir)

स्थान: उत्तरकाशी ज़िला | मुख्य देवी: माता यमुना

यह मंदिर यमुना नदी की उत्पत्ति स्थल के पास स्थित है। यहाँ माता यमुना की पूजा की जाती है, जो मृत्यु से रक्षा करने वाली मानी जाती हैं।

मंदिर तक पहुँचने के लिए जानकीचट्टी से 5 किमी की ट्रेकिंग करनी पड़ती है। रास्ते में झरने, हिमालय की चोटियाँ और प्राकृतिक गर्म जलकुंड देखने को मिलते हैं। यह मंदिर चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव होता है।

4. गंगोत्री मंदिर (Gangotri Mandir)

स्थान: उत्तरकाशी | मुख्य देवी: मां गंगा

गंगोत्री वह स्थान है जहाँ से गंगा नदी का धरती पर अवतरण माना जाता है। गंगोत्री मंदिर 18वीं सदी में एक गोरखा जनरल ने बनवाया था।

मंदिर के पीछे भागीरथ शिला है, जहाँ राजा भगीरथ ने तपस्या कर गंगा को पृथ्वी पर लाने की प्रार्थना की थी। गोमुख, जो गंगोत्री ग्लेशियर का मुख है, यहाँ से 18 किमी दूर स्थित है और गंगा की वास्तविक उत्पत्ति माना जाता है।

5. तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Mandir)

स्थान: चोपता | समुद्र तल से ऊँचाई: 3,680 मीटर

मुख्य देवता: भगवान शिव

तुंगनाथ विश्व का सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर है और पंच केदारों में तीसरे स्थान पर आता है। यह मंदिर हिमालय की गोद में बसा हुआ है और यहाँ तक पहुँचने के लिए आसान ट्रेकिंग करनी पड़ती है।

यहाँ शिव जी के भुजाओं की पूजा होती है। तुंगनाथ के समीप ही चंद्रशिला चोटी है, जहाँ से हिमालय के 360 डिग्री दृश्य दिखते हैं।

6. नीलकंठ महादेव (Neelkanth Mahadev)

स्थान: ऋषिकेश से 32 किमी | मुख्य देवता: भगवान शिव

यह मंदिर भगवान शिव के नीलकंठ रूप को समर्पित है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय शिवजी ने विषपान किया था और उनके कंठ नीला हो गया, तभी से उनका यह रूप ‘नीलकंठ’ कहलाया।

मंदिर जंगलों और झरनों से घिरा हुआ है और यहाँ तक पहुँचने के लिए रोमांचक सड़क यात्रा भी संभव है। सावन के महीने में यहाँ विशेष मेला लगता है।

7. हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib)

स्थान: चमोली ज़िला | समुद्र तल से ऊँचाई: 4,329 मीटर

यह एक सिख तीर्थस्थल है लेकिन हिंदू श्रद्धालुओं में भी इसकी विशेष मान्यता है। यह गुरुगोविंद सिंह जी की तपोभूमि मानी जाती है।

हेमकुंड झील के किनारे स्थित यह गुरुद्वारा 7 हिमालयी चोटियों के बीच स्थित है। यहाँ तक पहुँचने के लिए गोविंदघाट से लगभग 13 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। रास्ते में फूलों की घाटी भी मिलती है।

8. ज्वाल्पा देवी मंदिर (Jwalpa Devi Mandir)

स्थान: पौड़ी गढ़वाल | मुख्य देवी: ज्वाल्पा माता

यह शक्तिपीठ देवी पार्वती के ज्वाला रूप को समर्पित है। मान्यता है कि यहाँ देवी सती का जिह्वा (जीभ) गिरा था।

मंदिर नदी के किनारे स्थित है और इसकी सुंदरता नवरात्रि में अपने चरम पर होती है। भक्त यहाँ मन्नतें माँगते हैं और कन्या पूजन भी करते हैं।

9. कालिमठ मंदिर (Kalimath Mandir)

स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला | मुख्य देवी: मां काली

यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और एक रहस्यमयी मंदिर माना जाता है क्योंकि यहाँ देवी की मूर्ति नहीं है, बल्कि एक पवित्र गड्ढे की पूजा होती है जहाँ मान्यता अनुसार देवी काली ने रक्तबीज राक्षस का वध किया था।

यहाँ विशेष तांत्रिक साधनाएँ भी की जाती हैं और नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

10. मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Mandir)

स्थान: हरिद्वार | मुख्य देवी: माता मनसा

यह शक्तिपीठ पर्वतीय श्रृंखला पर स्थित है और यहाँ से हरिद्वार का सुंदर दृश्य दिखता है। माँ मनसा देवी को मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है।

मंदिर तक रोपवे (उड़नखटोला) की सुविधा उपलब्ध है। यह मंदिर नवरात्रि और कांवड़ यात्रा के समय विशेष रूप से सजाया जाता है।

उत्तराखंड के यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं हैं, बल्कि यह आत्मा को सुकून देने वाले स्थान हैं। यहाँ की यात्रा आपको प्रकृति, शांति और आस्था – तीनों का अनुभव एक साथ कराती है।

यदि आप जीवन में अध्यात्म की ओर एक कदम बढ़ाना चाहते हैं, तो उत्तराखंड के इन मंदिरों की यात्रा ज़रूर करें।

FAQs – उत्तराखंड के मंदिरों से जुड़े सामान्य प्रश्न

प्रश्न- उत्तराखंड के चारधाम कौन-कौन से हैं?

उत्तर: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री।

प्रश्न- क्या केदारनाथ मंदिर तक सड़क मार्ग है?

उत्तर: सड़क मार्ग सोनप्रयाग तक है, इसके बाद 16 किमी की ट्रेकिंग करनी होती है।

प्रश्न- तुंगनाथ मंदिर तक कैसे जाएं?

उत्तर: चोपता से लगभग 3.5 किमी की आसान ट्रेकिंग के बाद तुंगनाथ पहुँचा जा सकता है।

प्रश्न-सबसे ऊँचाई पर स्थित मंदिर कौन सा है?

उत्तर: तुंगनाथ मंदिर (3680 मीटर)।

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