Shanidev ki Aarti: शनिदेव की आरती | PDF
शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है। आइए, शनिदेव की आरती (Shanidev ki Aarti) का पाठकर शनि महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करें।
Shanidev ki aarti: शनिदेव को न्यायप्रिय ग्रह माना जाता है। कहते हैं, जिस मनुष्य की कुंडली में प्रमुख ग्रह शनिदेव होते हैं, ऐसे व्यक्ति बहुत मेहनती और कर्मठ होते हैं। वह जीवन में जो भी सफलता प्राप्त करते हैं, स्वयं के पुरुषार्थ से ही करते हैं। लेकिन शनिदेव उग्र हो जाएं तो उन्हें शांत करने के लिए बहुत जतन करने पड़ते हैं।
ऐसे में शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए शनिदेव को शांत करना और उन्हें प्रसन्न करना अति आवश्यक होता है। जिस व्यक्ति के ऊपर शनिदेव की दशा अर्थात साढ़े साती चल रही हो, वह व्यक्ति प्रतिदिन सुबह-शाम मंदिर में जाकर शनिदेव की आरती (shanidev ki aarti) करें।
यदि दोनों समय सम्भव न हो तो एक समय शनिदेव की आरती करने का प्रयास करना चाहिए।
अगर यह भी सम्भव न हो पाए तो शनिवार के दिन तो अवश्य ही शनिदेव के मंदिर जाकर उनकी आरती करनी चाहिए। ध्यान रहे कि शनिदेव की पूजा में सरसों के तेल का दीया ही उपयोग किया जाता है।
तो आइए, शनिदेव की आरती (Shanidev ki Aarti) का पाठ करके शनिमहाराज का आशीर्वाद प्राप्त करें।
शनिदेव की आरती (Shanidev ki Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
शनि आरती pdf
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