ब्लॉग

Mangalwar Vrat Katha: मंगलवार व्रत कथा और पूजा विधि

हनुमानजी की पूजा-अर्चना और व्रत रखने से उनकी कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इसलिए हमें मंगलवार को हनुमानजी का व्रत पूरे विधि-विधान से करना चाहिए।

Mangalwar Vrat Katha: हनुमानजी सबसे बलवान और बुद्धिमान देवताओं में से एक हैं। वो पराक्रम, सेवा और भक्त के आदर्श देवता भी माने गए हैं। 

हनुमानजी की प्रशंसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि- ‘चारों जुग परताप तुम्हारा, है प्रसिद्ध जगत उजियारा।’ 

इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमान जी इकलौते ऐसे देवता हैं जो हर युग में किसी न किसी रूप में मौजूद होते हैं और भक्तों का कल्याण करते हैं। 

हनुमानजी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान और बल की प्राप्ति होती है। उनके शरण में जाने से सभी सुख-सुविधा प्राप्त होती हैं। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी की पूजा-अर्चना, सेवा और व्रत रखने से उनकी विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इसलिए हमें मंगलवार को हनुमानजी का व्रत पूरी पूजा विधि और व्रत कथा के साथ करना चाहिए।

Mangalwar Vrat Katha

21 मंगलवार तक रखें व्रत, हर मनोकामना होगी पूर्ण (Mangalvar Vrat Vidhi)

  • हनुमानजी का व्रत लगातार 21 मंगलवार करना चाहिए। 
  • सबसे पहले ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान और हनुमानजी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें। 
  • किसी भी उत्तर पूर्व कोने के एकांत स्थान पर हनुमानजी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। 
  • फिर गंगा जल के छीटें मारकर लाल कपड़े का वस्त्र पहनाएं और पुष्प, रोली, अक्षत के छीटें दें। 
  • इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और तेल के कुछ छीटें मूर्ति या तस्वीर पर डालें। 
  • हनुमानजी को फूल चढ़ाएं और अक्षत-फूल लेकर उनकी कथा सुनें।
  • हनुमान चालीसा के बाद सुंदरकांड का भी पाठ ज़रूर करें। 
  • कथा सुनने के बाद प्रसाद का भोग लगाएं और अपनी मनोकामना माँगकर सभी लोगों में प्रसाद को बांट दें। 
  • संभव हो तो दान भी ज़रूर करें यह आपके लिए ज्यादा लाभदायक होगा। 
  • शाम के समय भी मंदिर जाकर तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ करके उनकी आरती करें। 
  • जब 21 मंगलवार का व्रत समाप्त हो जाएं तो 22वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ हनुमानजी की पूजा करके उन्हें चोला चढ़ाएं। 
  • साथ ही 21 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा दें।

मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha)

एक बार की बात है, एक ब्राह्मण दंपत्ति प्रेम-भाव से रहते थे लेकिन उनके जीवन में एक बात की कमी थी। उनकी कोई संतान नहीं थी। जिसके कारण वे दुखी रहते थे। हर मंगलवार को ब्राह्मण वन जाकर हनुमानजी की पूजा करता और संतान की कामना करता। ब्राह्मण की पत्नी भी हनुमानजी की बहुत बड़ी भक्त थी। वह मंगलवार को व्रत रखती थी और बजरंगबली को भोग लगाकर ही भोजन ग्रहण करती थी।

एक बार की बात है व्रत के दिन ब्राह्मण की पत्नी भोजन नहीं बना पाई और हनुमानजी को भोग भी नहीं लगा पाई। जिसके बाद ब्राह्मणी ने प्रण लिया कि वह अगले मंगलवार को भोग लगाने के बाद ही भोजन करेगी। जिसके बाद वह 6 दिन तक भूखी-प्यासी रही और मंगलवार के दिन व्रत के दौरान बेहोश हो गई। उसकी इस निष्ठा को देखकर हनुमानजी बहुत खुश हुए और आशीर्वाद के रूप में एक संतान देकर कहा कि यह तुम्हारी हमेशा सेवा करेगा। संतान का सुख पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हो गई और बालक का नाम मंगल रख दिया।

कुछ समय बाद जब ब्राह्मण घर लौटा तो बच्चे की आवाज सुनकर पूछा कि यह बच्चा कौन है? पत्नी ने कहा कि हनुमानजी ने व्रत से प्रसन्न होकर आशीर्वाद के रूप में यह संतान हम दोनों को दी है। अपनी पत्नी की बात पर ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ। एक बार जब ब्राह्मणी घर पर नहीं थी तो ब्राह्मण ने मौका देखते बच्चे को कुएँ में गिरा दिया। जब ब्राह्मणी घर लौटी तो मंगल को घर में नहीं पाकर ब्राह्मण से मंगल के बारे में पूछा। तभी मंगल पीछे से मुस्कुरा कर आ गया। मंगल को वहां देखकर ब्राह्मण हैरान रह गया। रात को ब्राह्मण के सपने में आकर हनुमानजी ने दर्शन दिए और बताया कि यह संतान तुम्हारी है। सच जानकर वह बहुत खुश हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति हर मंगलावर को व्रत रखने लगे।

शास्त्रों के मुताबिक मंगलवार को जो भी हनुमानजी का सच्चे मन से व्रत करता है और कथा सुनता है, उसपर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।

Mangalwar Vrat Udyapan Vidhi

हनुमान जी का व्रत कैसे करें (मंगलवार व्रत विधि)

यह व्रत कम से कम लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। उसके बाद घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस दिन लाल कपड़े पहनें और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान पर फूल माला या फूल चढ़ाएं ।

फिर रुई में चमेली के तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हलके छीटे दे दें। इसके बाद मंगलवार व्रत कथा पढ़ें। साथ ही हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। फिर आरती करके सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर, खुद भी लें। दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें ।

मंगलवार व्रत उद्यापन विधि (Mangalwar Vrat Udyapan Vidhi)

21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं। फिर 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें।

ये तो थी, मंगलवार व्रत कथा और पूजा विधि (Mangalwar vrat katha & Puja Vidhi) की जानकारी। ऐसे ही अन्य धार्मिक कथाओं को जानने के लिए MyMandir से जुड़े रहें। 

Related Articles

Back to top button