Shiv Chalisa: महादेव को शिव चालीसा पाठ से करें प्रसन्न, जानें विधि और लाभ
भगवान शिव जन्म मरण के बन्धनों से मुक्ति देने वाले देवता हैं। शिव चालीसा पाठ (Shiv Chalisa path) से शिवजी की कृपा मिलती है।
Shiv Chalisa: शिव चालीसा भगवान शिव को प्रसन्न करने का सरल मार्ग है। भगवान शिव के 11 अवतार बताए गए हैं। जिसमें भगवान शिव सौम्य रूप में दिखाए जाते हैं।
वर्ष में श्रावण मास शिव की पूजा का विशेष महीना होता है, लेकिन महादेव की पूजा आप कभी भी प्रदोष काल में भी कर सकते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने की विधि बहुत ही सरल है। मान्यता है, कि भगवान शिव इतने भक्त वत्सल हैं कि अपने भक्तों को कुछ भी वरदान प्रदान करते हैं।
भगवान शिव कठिन तपस्या से ही प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा का पाठ मुख्य रूप से किया जाता है।
आइए जानते हैं शिव चालीसा पाठ के लाभ और विधि
शिव चालीसा पाठ के नियम और विधि (Shiv Chalisa Path Vidhi)
भगवान शिव सृष्टि के संहार करता हैं। इनकी साधना करने से मन में शांति की प्राप्ति होती है। इनकी आराधना करने वाला व्यक्ति साक्षात शिव के समान माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है।
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत हों।
- भगवान शिव की पूजा में ध्यान का विशेष महत्व है।
- शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शुद्ध और स्वच्छ कम्बल के आसन पर बैठें।
- भगवान शिव का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर से अलग-अलग अभिषेक करें।
- भगवान शिव की पूजा में भांग धतूरा बेलपत्र, बेलपत्र का फल विशेष रूप से अर्पण करें।
- भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला पहनाए।
- भगवान शिव को केवड़े का इत्र जरुर चढ़ाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
- शिव का संपूर्ण पूजन पूरा करें।
शिव चालीसा | Shiv Chalisa
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥1॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥2॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥3॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥4॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥5॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥6॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥7॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥8॥
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥9॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥10॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥11॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥12॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥13॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥14॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥15॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥16॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥17॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥18॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥19॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥20॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥21॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥22॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥23॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥24॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥25॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥26॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥27॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥28॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥29॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥30॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥31॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥32॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥33॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥34॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥35॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥36॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥37॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥38॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥39॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥40॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
शिव चालीसा पाठ के फायदे (shiv chalisa ke fayde)
शिव की पूजा शक्ति के साथ की जाती है। शिव शक्ति के बिना अधूरे समझे जाते हैं। शिव चालीसा का पाठ जीवन के सभी कष्टों का नाश करती है। इससे मनुष्य जीवन के सभी पापों से मुक्ति प्राप्त करवाती है।
- शिव चालीसा का पाठ करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ जीवन के सम्पूर्ण सुख प्रप्ति के लिए किया जाता है।
- विधिवत शिव चालीसा का पाठ करने से संतान की कामना पूरी होती है।
- शिव चालीसा का पाठ सभी प्रकार के भय से मुक्ति देता है।
- शिव चालीसा का पाठ करने से सभी बन्धनों से मुक्ति मिलती है।
- शिव चालीसा का पाठ करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है।